Saturday, October 6, 2012

Unusual Me ..


भीड़ मैं होकर भी अकेलापन अजीब लगता हैं 
दोस्तों के बीच मैं अजनबीपन अजीब लगता हैं 
मंजिलों के पास गूम हो जाना अजीब लगता हैं 
जिससे अपना समझ कर राज़दार बनाया था 
उन राजो का इश्तिहार देख के अजीब लगता हैं 
तुम भी बदल गए हो जामने के साथ ऐ दोस्त
तुम मैं और गिरगिट मैं कोई फर्क नहीं अजीब लगता हैं 
-प्रियांशु
सुबह होने से पहले अँधेरा सबसे घना होता हैं 
पर वोह अँधेरा भी सुबह को रोक नहीं पता हैं 
आज मुझे समझ मैं आया हैं की
जो सपना दिखाता हैं उन सपनो को सच करने की ताक़त भी वही देता हैं 
आज मुझे समझ मैं आया हैं की 
जो प्यार करना सिखाता हैं हैं वोह उस प्यार को जिंदा रखने की हिम्मत भी देता हैं

इज़हार ऐ मोहब्बत

कुछ लोग मोहब्बत को चुनते हैं 
लेकिन खुशनसीब हैं वोह लोग 
जिन्हें मोहब्बत चुनती हैं ..
उसके दर्द मैं तडपना हर किसी के 
बस की बात नहीं होती 
किसी के लिए सब कुछ छोड़ देना 
हर किसी के बस की बात नहीं होती 
सब कुछ गवा कर अपने को आमिर समझना 
हर किसी के बस की बात नहीं होती 
उस केलिए दुनिया से टकरा जाना 
रीती रिवाजो से भीड़ जाना
मौत को झुटला देना
अपनों को भूल जाना
हर किसी के बस की बात नहीं होती ...
यह इज़हार ऐ मोहब्बत ...
शायद कुछ लोगो के लिए बहुत आसान होता होगा
लिख अपनी मोहब्बत को दीवारों पर
उसे बदनाम करना आसन होगा
पर बंद कमरे मैं सिसकना हर किसी के बस की बात नहीं होती
मैं तुझे फिर समझाता हूँ "साहिल" के समुन्दर मैं तो कोई भी डूब सकता हैं
पर साहिल पर डूब जाना हर किसी के बस की बात नहीं होती ....प्रियांशु 

Thursday, December 1, 2011

Phir Yeh Dard Kun Nahin Hota Kam
Na Ab Manzilen Ek Hai
Na Ab Tum Rahe Humsafar
Phir Yeh Dard Kun Nahin Hota Kam
Tum Bhul Gaye Ho Mujhe
Yeh Tumahara Chehra Batata Hain
Yeh Aankhen Kehtai hain Ki Ab To Sapno
Main Bhi Nahin Miltae Hum
Phir Bhi Yeh Dard NAhin Hota Kam
Teri Berukhi Kah rahi hain
Kuch Khata Hui hain Humse
Saza Do Hamane Yun Na Raho Gumsum
Chup Na Raho Tum Jawab To Do Kam Se Kam


Bhaut dino baad tu yaad aya hain
Tere hone per aaj yakin aaya hain
Jiske hone par shaq tha mujhe
Tune aapne aks ko mujh tak pahuchaya hain
Mannatte hoti hain puri
Main duniya KO batunga
Mere sajdo ka sabaab mila hain
Main sabko dikhaunga
Mere duniya roshan ki hain tune
Mere ghar ko jannat tune
Khud aakar banaya hain ..e..mere “khuda”